आभूषणों का संबंध सिर्फ सौंदर्य और ऐश्वर्य से नहीं , बल्कि इसका संबंध स्वास्थ्य से भी है.

आभूषणों में छिपा है स्वास्थ्य का खजाना , जाने सोना-चांदी पहनने के फायदे


आभूषणों का संबंध सिर्फ सौंदर्य और ऐश्वर्य से नहीं , बल्कि इसका संबंध स्वास्थ्य से भी है. आप जानते ही होंगे कि स्वर्ण, लौह आदि का हमारे शरीर में समावेश होता है. यदा – कदा इनका संतुलन बिगड़ने पर आयुर्वेद भी इनका चूर्ण या भस्म आदि देकर बिगड़े अनुपात को संतुलित कर देता है. ठीक उसी प्रकार गहने भी तत्संबंधी ऊर्जा का नियंत्रण और विकास सुचारू ढंग से करते हैं. आयुर्वेद के अनुसार हमारे शरीर में सौ से भी अधिक चेतना केंद्र होते हैं. शरीर के इन्हीं केन्द्रों के आसपास मुख्यतः गहने धारण किए जाते हैं. ये चेतना केंद्र अति संवेदनशील होते हैं. शरीर के बाहर हो रहे, हर छोटे बड़े परिवर्तन का प्रभाव इन्हीं केन्द्रों के माध्यम से पड़ता है.
सोना –
सोने में एंटी – इनफ्लामेंट्री गुण पाए जाते हैं, जो रंग निखारने के साथ-साथ युवा बनाये रखने में भी मदद करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि सोना (स्वर्ण) बढ़ती उम्र के असर को कम कर देता है


चांदी –
आपको ये जानकर हैरानी होगी कि चांदी के गहनों से पीठ, एड़ी, घुटनों के दर्द के रोगों में राहत मिलती है. चांदी के गहने पहनने से अनेक बीमारियों से बचा जा सकता है. चांदी हड्डियों को मजबूत करने में मदद करती है. चांदी के गहने पहनने से चांदी के गुण रक्त तक पहुँच जाते हैं, इससे उच्च रक्तचाप से राहत मिलती है एवं शरीर में होने वाले दर्द से भी राहत मिलती है. चांदी स्वाद ग्रंथियों के लिए लाभदायक होती है. शायद यही कारण है कि प्राचीन काल से भोज्य पदार्थों पर चांदी का वर्क लगाया जाता है.


मोती –
मोती के गहने पहनने से पाचन संबंधित समस्या दूर होती है. इमोशनल व्यक्ति को मोती अवश्य पहनना चाहिए, इससे दिल की बीमारी होने की आशंका कम होती है.


नीलम –
मन को शांत तथा व्यक्ति को चिंता मुक्त रखता है.


कॉपर या तांबे –
कॉपर या तांबे के धातु के गहने पहनने से जोड़ों के दर्द से राहत मिलती है.


कर्ण आभूषण धारण करने से आंत्र एवं गर्भाशय संबंधित विकारों से छुटकारा मिलता है. कान में बाली पहनने से यादाश्त अच्छी होती है, मूत्र संबंधी विकार दूर होते हैं.


नथ, लौंग जैसे छोटे गहने भी मस्तिष्क को क्रियाशील रखने में सहायक होते हैं. नथ या लौंग मिर्गी जैसे रोग से हमारी रक्षा करती है. नाक-कान की तंत्रिकाओं का सीधा संबंध मस्तिष्क से होता है.


कंगन या चूड़ियां पहनने से वाणी रोग, हकलाहट और तोतलापन तो दूर होता ही है, साथ में उल्टी, जी मिचलाना जैसी परेशानियों से बचा जा सकता है.


पायल , पाजेब या पांव का तोड़ा भी कम उपयोगी नहीं है. इनसे पोलियो, लकवा, सायटिका और उदर रोगों से बचाव होता है. जानकारों का दावा है कि ये जननेंद्रियों और पीठ पर भी अपना अनुकूल प्रभाव डालती है.


बिछिया शरीर में होने वाली कई बीमारियों को कंट्रोल करती है. यह नर्वस सिस्टम ठीक रखने के साथ-साथ प्रजनन प्रणाली भी सामान्य बनाए रखती है