हरियाणा पुलिस को तीन पत्रकारों के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तार करना महंगा पड़ गया है

चंडीगढ़. हरियाणा पुलिस को तीन पत्रकारों के खिलाफ गैरकानूनी तरीके से रिपोर्ट दर्ज कर गिरफ्तार करना महंगा पड़ गया है. गैरकानूनी तरीके से की गयीं तीन पत्रकारों के खिलाफ रिपोर्ट और फिर गिरफ्तारी की आग मे हरियाणा पुलिस के पूर्व डीजीपी बी.एस.संधू, हिसार रेँज के आईजी अमिताभ ढिल्लों,. एसपी बिजिलेँस सुखबीर सिंह, तथा और अधिकारियों व कार्मिकों के हाथ आज तब झूलस गये, जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने इन खाकी वर्दी वालों को व्यक्ति गत अवमानना के नोटिस जारी कर स्पस्टीकरण मांगने के साथ अनिवार्य रूप से हाजिर होने का आदेश जारी कर दिया. कोर्ट के इस आदेश से हरियाणा पुलिस अब भौँचक्की तो है ही वहीं पूरे विभाग में हडकम्प मच गया है.



15 अप्रैल 2018 को फरीदाबाद के तीन पत्रकारों संजय कपूर, नवीन धमीजा, व नवीन गुप्ता को अपने आनलाइन वेब न्यूज पोर्टल पर हरियाणा के एक विधायक व एक नेत्री के मामले को बिना उनके नाम लिए एक समाचार प्रसारित किया था, जबकि पोर्टल मे प्रसारित होने के पूर्व ही यह सोशल मीडिया पर यह समाचार चटकारे लेकर चर्चा का विषय बन चुका था. तब उस महिला नेत्री ने पोर्टल की खबर को आधार बनाकर तीनों पत्रकारों के खिलाफ पुलिस से शिकायत कर दी,इस शिकायत और राजनैतिक दबाव में पुलिस ने 16 अप्रैल 2018 को उक्त तीनों पत्रकारों को आई.टी एक्ट की धारा 67 ए, 354 डी एवम 499 के तहत पत्रकारों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. हैरानी की बात यह थी कि तीनों ही पत्रकारों ने अपने प्रसारणों मे किसी आदमी, महिला, या दल का नाम तक नहीं लिया गया था. इससे साबित हुआ कि पत्रकारों का सुप्रीम कोर्ट की रोशनी की अनदेखी की गई है और उन आदेशों को देखना तक जरूरी नहीं समझा गया, हैरानी यह भी थी कि पत्रकारों को हिमाचल प्रदेश के ऊना से राजनैतिक दबाव के चलते गिरफ्तार उस समय किया गया जब वे धार्मिक स्थलों की यात्रा पर थे.


इस पुलिस राजनेताओं के नापाक गठजोड के खिलाफ पत्रकारों ने पूरजोर तरीक़े से धरना प्रदर्शन अभी चल ही रहे थे कि पत्रकार नवीन धमीजा के पिता पृथ्वी राज धमीजा इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाये और हार्टअटैक से चल बसे. बस फिर क्या था, पत्रकारों को और उबाल आ गया, अब पत्रकारों ने नये तेवरों और जनून से आंदोलन शुरू कर दिया, इसी कडी मे प्रदर्शनो के साथ मुख्यमंत्री मनोहर लाल खटटर के नाम ज्ञापन तो प्रेसवार्ता का बहिष्कार भी आंदोलन के अंग बन गये. शासन स्तर पर अभी जाँच चल ही रही थी कि पत्रकार संगठनों ने पंजाब हरियाणा हाईकोर्ट की शरण ली. हाईकोर्ट की माननीय जज निर्मलजीत कौर की अदालत मे पत्रकारों के पक्ष मे वरिष्ठ अधिवक्ता एस.एस.बरार,पवन साँखला, व ललित साँखला ने तीनों पत्रकारों का पक्ष रखते हुए जोरदार दलीलें पेश की.


तब जाकर आज हरियाणा के पूर्व डीजीपी बीएस संधू,फरीदाबाद के तत्कालीन पुलिस कमिश्नर अमिताभ ढिल्लों(अब आईजी हिसार रेँज )तब के डीएसपी सुखबीर सिंह ( अब एसपी बिजिलेँस गुरुग्राम) फरीदाबाद के क्राइम ब्रांच सेक्टर 30 प्रभारी इँस्पेक्टर रविन्द्र सिंह, एएसआई अनूप तथा हवलदार राजीव को आज नोटिस जारी कर 23 म.ई को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट मे हाजिर होने तथा जवाब माँगा गया है कि क्यों न आपके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेशों की अवहेलना की कार्रवाही की जाय.इस आदेश के आते ही आज हरियाणा पुलिस के अलावा देशभर के उच्च पुलिस अधिकारियों व नौकरशाही मे हडकंप मच गया है.