एक अंतर्राष्ट्रीय मुशायरे का आयोजन किया गया

एक अंतर्राष्ट्रीय मुशायरे का आयोजन किया गया



 गोरखपुर 


हाजी वजीर अहमद वेलफेयर फाउंडेशन गोरखपुर के तत्वावधान में अंतरराष्ट्रीय शहर अफरोज के स्वागत में एक अंतर्राष्ट्रीय मुशायरे का आयोजन किया गया है।  कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शोभित अग्रवाल (अध्यक्ष यूपी बिल्डर्स एसोसिएशन कटाई) तथा अध्यक्षता डा कलीम कैसर ने किया ।
 मुशायरे कनविनर शमशाद आलम ने बताया कि वजीर अहमद फाउंडेशन की ओर से यह पहला अंतरराष्ट्रीय मुशायरा है जो आने वाले समय में निरंतर कराए जाने का प्रयास किया जाएगा ।उन्होंने ने कहा कि यह मात्र एक साधन है जहां हम साहित्य की सेवा करते हैं। शोभित मोहन दास ने कहा कि यह मुशायरे हमारे सांस्कृतिक एवं सांस्कृतिक एवं साहित्यिक गतिविधियों की प्रोत्साहन देते हैं। शायर बहुत कम शब्दों में बड़ी बड़ी बात कह जाता है। अंतरराष्ट्रीय शायर डॉ कलीम कैसर ने कहा कि गोरखपुर में मुशायरे, शहर की पुरानी रवायत रही है। फिराक और मजनू गोरखपुरी कि यह धरती हमेशा अदब के फरोग के लिए पहचानी जाती रही है । दुबई से आए शायर अफरोज आलम ने कहा कि उन्होंने फिराक़ और मजनू की धरती गोरखपुर के बारे में बहुत कुछ सुना था  और आज अपनी निगाहों के सामने वह सारे मंजर देख रहा हूं।
वजीर अहमद फाउंडेशन की तरफ से सामाजिक कार्यों में सक्रिय है लोगों को सम्मानित भी किया गया जिनमें विशेष रुप से डॉक्टर रजनीकांत नवाब, मारकंडे मणि त्रिपाठी, सिद्दीक पहलवान (बाराबंकी) प्रवीण श्रीवास्तव , सैयद आसिम रउफ, सरदार जसपाल सिंह डॉक्टर सत्या पांडे शोएब अहमद आशीष श्रीवास्तव (आर्किटेक्ट), खैरुल बशर, इकरार अहमद, अचिंत्या लहरी, डॉ हर्षवर्धन राय के नाम प्रमुख हैं।
मुशायरे की शुरुआत का विष रुदौलवी के नाते पाक से हुआ
जिसने की तालीम नबी की उनके मुकद्दर जाग गए
जहर की किस्मत सोती रही और कंकड़ पत्थर जाग गए
दुबई से आए मशहूर शायर डॉ अफरोज आलम ने ग़ज़ल की खूबियां बयान करते हुए कुछ शेर पढ़ें
तेरे ख्याल की वादी में गुम हुआ जो भी
यह आंखें बहने लगी मनचली नदी की तरह
नेपाल से आए प्रख्यात शायर साकिब हारुनी ने अपने अंदाज में ग़ज़ल को ऊंचाइयां देते हुए शेर पढ़ें
खामोशियों ने पसारे हैं चार सू दामन
की बोलचाल अप सिलसिला शुरू कीजिए
डॉक्टर उर्फी फैजाबादी का अंदाज ए बयां कुछ यूं रहा
तीर जितने तुम्हारी कमानो में है उससे ज्यादा परिंदे उड़ानों में है
मशहूर नौजवान शायर दीदार बस्तवी ने मुशायरे को एक नई दिशा देते हुए आज के हालात पर गहरी चोट की और पूरा हाल तालियों से गूंज उठा उन्होंने शेर कुछ यूं कहां
मैं मानता हूं मुझे इंसान मिल गया
लेकिन मेरी जवानी अदालत ने छीन ली
तनवीर जलालपुरी ने उर्दू ग़ज़ल की महत्वता का जिक्र करते हुए कुछ शेर यू कहा
मैं फसलों का शायर हूं मेरा बच्चा
 तूतलाएगा तो भी उर्दू बोलेगा
बाराबंकी से आए नौजवान शायर खुमार बाराबंकवी ने कुछ यू शमा बांधा-
तुम्हारे नाखुदा को जगाना पड़ेगा
सफीना भंवर से बचाना पड़ेगा
असद मेहताब ने तरन्नुम से कुछ गजलें सुनाई उनका यह शेर बहुत पसंद किया गया
तमाम रात यही कारोबार करता हूं
मैं एक दिया हूं अंधेरे पे वार करता हूं
गोरखपुर के उभरते हुए नौजवान शायर मिन्नतुल्लाह मिन्नत गोरखपुरी ने भी अपनी शायरी से लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया-
मेरे सफर का कोई एख्तेताम  है कि नहीं
मेरी थकान के मुकद्दर में शाम है कि नहीं
मुशायरे की सदारत फरमा रहे विश्व प्रख्यात शायर डॉ कलीम कैसर ने गजल को नई ऊंचाई प्रदान करते हुए मुशायरे को बुलंदियों पर पहुंचा दिया उनका यह शेर खूब पसंद किया गया-
शहर में तो रुखसती दहलीज तक महदूद थी
गांव में पक्की सड़क तक लोग पहुंचाने गए
इनके अलावा मुशायरे में हाथ से के मशहूर शायर सोला टडवी, अहमद फैजी (बिहार), जुबेर सीतापुरी, अमीर फैशल लखनऊ, सरफराज राही, जलाल सामानी, मोहतरमा नुसरत अतीक साहिबा, मोहतरमा चारूसीला सिंह ने भी अपना कलाम सुनाया।
इस अवसर पर हाजी सिद्धि पहलवान, हाजी अली हुसैन, सगीर अहमद, शब्बीर अहमद, रिजवान अहमद, फैसल खान, मेहताब हुसैन, अली हैदर सहित शहर के गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।
कार्यक्रम के कोऑर्डिनेटर दीदार बस्तवी व सह संयोजक शाहनवाज आलम रहे।