आदिवासी नेता नरसींग पढियार (भील) की जालौर से इनकी प्रबल दावेदारी के कारण अनेक नेताओं के सिंहासन हिले

आजादी के 72 वर्ष बाद जिला प्रमुख एसटी की सीट आने के बाद आदिवासी नेता नरसींग पढियार (भील) की जालौर से इनकी प्रबल दावेदारी के कारण अनेक नेताओं के सिंहासन हिले।



सांचौर/जालौर कर्मपाल सिंह सवाली




  • जालौर जिले आदिवासी बाहुबल क्षेत्र होने के बाद भी अनेक दशकों से अन्य जातियों के नेता ही ज्यादातर लंबी पारी भाजपा का ही कब्जा चला आता रहा जिसके कारण हजारों की तादाद बड़ी संख्या में आदिवासीभील समाज को प्रतिनिधित्व से हमेशा ही वंचित रखा जाता रहा जिसके कारण आदिवासियों को बनते अधिकार नहीं मिले इस बार जिला परिषद जालौर की जिला प्रमुख की एसटी सीट आने के बाद राष्ट्रीय नेता नरसींग पढियार (भील) का जालौर को इनकी मजबूत प्रबल दावेदारी में इनके नाम का चर्चा का बाजार गर्म है अखिल भारतीय आदिवासी महासभा के राष्ट्रीय नेता नरसींग पढियार (भील) जो लगातार 20 वर्षों से आदिवासियों को हक दिलाने और उनके उत्थान के लिए संघर्षशील है हमेशा ही दलित किसानों को इंसाफ दिलाने और कांग्रेसी संगठन के लिए जब जन्म हुआ तब से जुड़े हुए हैं इनके बढ़ रही राजनीतिक ताकत  के कारण एवं इनकी मजबूत दावेदारी के कारण अनेक नेताओं के सिंहासन निकले हुए हैं आजादी के 72 वर्ष बाद प्रथम बार एसटी सीट की घोषणा के बाद आदिवासीयो में खुशी की लहर है यह चित्र लंबे समय से कांग्रेस के सांसद रहे बुरा सिंह के समय में कांग्रेश सभा माना हुआ गढ़ रहा है कांग्रेसी नेताओं की आपसी खींचतान के कारण भाजपा का बीज हुई थी।