भारत की नई तस्वीर बनाने में युवा आगे आएं- राज्यपाल

भारत की नई तस्वीर बनाने में युवा आगे आएं- राज्यपाल


जौनपुर



  • वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय जौनपुर के महंत अवैद्यनाथ संगोष्ठी भवन में मंगलवार को विश्वविद्यालय के 23वें दीक्षान्त में 65 मेधावियों को स्वर्ण पदक मिला।
     स्नातक में 16 और परास्नातक के 49 मेधावियों को राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल के हाथों स्वर्ण पदक दिया गया।
      समारोह में मुुुख्य अतिथि इस्कॉन मंदिर, श्रील प्रभुपाद आश्रम जम्मू- कश्मीर  के नव योगेन्द्र स्वामी जी महाराज ने कहा कि विश्वविद्यालय के मंत्र वाक्य तेजस्विनावधीतमस्तु वेद से लिया गया है। इसके अर्थ में पूरे शिक्षा का सार छिपा है, इसमें कहा गया है कि हमारा ज्ञान तेजस्वी है परमेश्वर शिष्य, आचार्य दोनों की साथ-साथ रक्षा करें। हम दोनों को साथ-साथ विद्या के फल का भोग करायें, हम दोनों एक साथ मिलकर विद्या प्राप्ति का सामथ्र्य प्राप्त करें। हम सभी परस्पर द्वेष न करें। उन्होंने श्रीमद्भगवतगीता को मानव जीवन से जोड़ते हुए उनकी चार मुख्य समस्याएं जन्म, मृत्यु, जरा, व्याधि में दुख दोषों के दर्शन कराते हुए कहा कि इन्ही चार समस्याओं के समाधान के लिए मानव जीवन मिला है।
      उन्होंने कहा कि भौतिक समस्याओं का समाधान भौतिक हो ही नहीं सकता, इसका समाधान आध्यात्मिक है। विश्व के बड़े-बड़े वैज्ञानिक पिछले 100  वर्षों से  मानव चेतना की उत्पत्ति को समझने में असफल रहे। हमारे एक शिष्य अमेरिका के येल विश्वविद्यालय में पिछले 13 वर्षों से इस विषय पर शोध कर रहे हैं,  वे बताते हैं कि अब दुनिया के अग्रणी वैज्ञानिक चेतना की उत्पति का आध्यात्मिक सिद्धांत देने के बारे में सोच रहे हैं जो कि भौतिक नहीं आध्यात्मिक है। यह अध्यात्मिक सिद्धांत भगवान कृष्ण द्वारा भगवदगीता में दिए गए आत्मा (जीव की चेतना) का सिद्धांत ही हैं।
    उन्हांेने कहा कि हमारी शिक्षा पद्धति मानव जीवन के चार पुरुषार्थ धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के बारे में बताती है, परंतु आज का व्यक्ति धर्म, अर्थ  तथा काम  में ही फंस कर रह गया है। चैतन्य महाप्रभु, जो स्वयं भगवान श्रीकृष्ण हैं, ने  पंचम पुरुषार्थ के बारे में हमें बताया जो कि भगवत प्रेम है और यही  कृष्ण प्रेम मानव जीवन का उद्देश्य है। हमें किसी भी प्रकार से अपने मन को भगवान के चरणों में लगाना है तभी हम भगवान कृष्ण का प्रेम प्राप्त कर सकते हैं और अपने अस्थाई घर भगवत धाम को जा सकते हैं। इस प्रकार हम जन्म-मृत्यु के बंधन से छुटकारा प्राप्त कर  हम अपने मानव जीवन को सफल कर सकते हैं।
          दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए  कुलाधिपति एवं राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि  शिक्षा ऐसी हो जो हमें आत्मनिर्भर बनाने के साथ-साथ राष्ट्रीय भावना भी पैदा करें । देश, समाज के प्रति चुनौतियों का सामना युवाओं को ही करना होगा, तभी हम नए भारत की नई तस्वीर बनाने में सक्षम होंगे।
    उन्होंने कहा कि देश को टीबी जैसी गंभीर बीमारी से मुक्त कराने की चिंता हर नागरिक की है। पूरा विश्व 2030 तक टीवी मुक्त होने का संकल्प ले रहा है, लेकिन हमारे देश ने इसे 2025 तक खत्म करने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने कहा कि टीबी मरीजों और कुपोषित बच्चों को गोद लेकर हम इससे मुक्ति पा सकते हैं। बाल- विवाह और दहेज उन्मूलन के लिए छात्र-छात्राओं से आगे आने को कहा। उन्होंने कहा जब घर में दहेज की मांग शुरू हो तभी लड़कियों को बगावत करनी चाहिए, ताकि उन्हें पूरी जिंदगी इस समस्या से जूझना न पड़े।
          बेरोजगारी पर प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कौशल विकास के जरिए हम देश का सामाजिक और आर्थिक विकास कर सकते हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय में पढ़ने वाली छात्राओं के हीमोग्लोबिन का टेस्ट कराने को कहा है, जिस बच्चे में इसकी कमी हो उसे पूरा करने के लिए उनके माता-पिता को बुलाकर सलाह देनी चाहिए ताकि देश कुपोषण से मुक्त हो सके।
         इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0डाॅ0 राजाराम यादव ने अपने संबोधन में विश्वविद्यालय की उपलब्धिया गिनायीं।
        समारोह का संचालन पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डा0 मनोज मिश्र ने किया। पूर्व राज्यपाल माता प्रसाद, कुलसचिव सुजीत कुमार जायसवाल, वित्त अधिकारी एम0के0 सिंह, परीक्षा नियंत्रक व्यास नारायन सिंह, प्रो0 बी0बी0 तिवारी, प्रो0 मानस पाण्डेय, पो0 रामनारायण, प्रो0 अविनाश पाथर्डिकर, विधायक लीना तिवारी, सीमा द्विवेदी, सुरेन्द्र प्रताप सिंह, शतरूद्र प्रताप सिंह, अशोक सिंह, सुरेन्द्र त्रिपाठी समेत विश्व विद्यालय के कार्यपरिषद, विद्यापरिषद आदि समितियों के सदस्य उपस्थित रहे।