एसआईटी की जांच पर उठे सवाल अफसरों और नेताओं के क्यों छिपाए गए नाम 

हनीट्रैप: एसआईटी की जांच पर उठे सवाल
अफसरों और नेताओं के क्यों छिपाए गए नाम 



भोपाल


बहुचर्चित हनी ट्रैप मामले में जांच कर रही एसआईटी की जांच पर सवाल उठ रहे हैं। कोर्ट में जो चार्जशीट पेश की गई है, उसमें आईएएस-आईपीएस और नेताओं के नाम न होने को लेकर तरह-तरह की बातें की जा रही हैं। कहा यह भी जा रहा है कि एसआईटी ने महिलाओं के तो पूरे बयान सार्वजनिक कर दिए हैं पर हुस्न की इन हसीन बालाओं के साथ जिन अधिकारियों ने रातें रंगीन की थीं और वीडियो बनने के बाद भारी कीमत अदा की, उनके नाम एसआईटी द्वारा उजागर न किए जाने से उसकी जांच पर सवाल उठ रहे हैं। एसआईटी ने पिछले दिनों कोर्ट में 140 पेजों का लंबा-चौड़ा चालान पेश किया है। इस चालान में मोनिका यादव के बयानों को पूरे विस्तार से लिया गया है। बयान में मोनिका ने बताया है कि किस तरह से श्वेता विजय जैन, श्वेता स्वप्निल जैन देह व्यापार के इस स्याह कारोबार को संचालित करती थीं। मोनिका ने यह भी उजागर किया है कि वह इन सफेदपोश श्वेताओं के चंगुल में कैसे फंसी और उसको किस तरह से अपने काम के लिए इस्तेमाल किया गया।
जल्दी पेश होगा एक और पूरक चालान
अफसरों की मानें तो अभी मामले में शुरुआती चालान पेश किया गया है। यह चालान उन आरोपियों के खिलाफ पेश किया गया है, जिनकी गिरफ्तारी हो चुकी है। अभी मामले में एक और पूरक चालान पेश होगा और उसमें बहुत सारे हाईप्रोफाइल चेहरे बेनकाब होंगे। आगे पेश होने वाले पूरक चालान में आईएएस, कुछ आईपीएस और नेताओं के नाम भी होंगे। सूत्रों की मानें तो आयकर विभाग की इस पूरे मामले पर नजर है। विभाग आईएएस अफसर पीसी मीणा द्वारा दिए गए पैसे की जानकारी पुलिस से मांग सकता है, वहीं वह उन अफसर और नेताओं के नामों की जानकारी भी मांग सकता है जिन्होंने बदनामी से बचने के लिए लाखों से करोड़ों रुपए हुस्न की इन बालाओं को दिए थे। मोनिका के मुताबिक आरती दयाल का छतरपुर में नेचुरोपैथी का क्लीनिक है। उनसे अपने एनजीओ दृष्टि की फाइल मुझे दिखाई थी और कहा था कि अगर मेरे बारे में कोई पूछे, तो दृष्टि का संचालक बताना। यह भी बताया था कि दृष्टि की प्रायोजक संस्था टाटा कंपनी (स्टील) है। आरती के साथ छतरपुर के ग्राम पनोठा की लड़की रूपा अहिरवार भी रहती है। वह भी इन सब कार्यों में शामिल है