नेपाल बॉर्डर पर प्रतिबंधों के बाउजूद हो रही मछलियों की तस्करी

नेपाल बॉर्डर पर प्रतिबंधों के बाउजूद हो रही मछलियों की तस्करी


एसएसबी कैम्प के सामने से होती है तस्करी


*बहराइच*


एक ओर जहां सरकार ने भारत मे मांगुर नामक मछलियों को प्रतिबंध कर रखा वहीं भारत नेपाल बॉर्डर पर बड़े पैमाने पर मांगुर नामक मछलियों की तस्करी की जा रही है। मछली तस्कर खुलेआम अपनी मोटरसाइकिलों से दिन भर प्रतिबंधित मछलियों की खेप को नेपाल ले जाते हैं। लेकिन बॉर्डर पर तैनात सुरक्षा एजेंसियां मूकदर्शक बनी हुई हैं। मछली तस्कर मछली के आंड में मादक पदार्थो की भी तस्करी करते है यह बात जग जाहिर है। कई मछली तस्कर तो ऐसे भी है जो स्मैक की तस्करी में नेपालगंज में पकड़े गये और कई सालों तक जेल में भी रहे मगर आज भी ये लोग मछली की आड़ में अपने गोरखधंधे को अंजाम दे रहे हैं। बॉर्डर पर मछली तस्करों ने अपना एक पूरा गैंग बना रखा है। ये वर्दी धारियों को पटा कर खुलेआम मछली नेपाल ले जाते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कभी भी मोटरसाइकिल पर कैरेट बांध कर नेपाल मछली ले जा रहे इन लोगों को रोक कर चेक तक नही किया जाता है कि इसमें प्रतिबन्धित मछली के साथ साथ कहीं मादक पदार्थ तो नेपाल नही जा रहा है। यह सारा खेल मेन रोड पर तैनात एसएसबी जवानो के सामने चलता रहता है।  आपको यह भी बता दें कि दर्जनों बार नेपाल पुलिस के जवानों ने मछली के अंदर से स्मैक की खेप को बरामद किया है अभी हाल ही में रुपईडीहा से तस्करी कर नेपाल भेजी गई मछली की पेटी के अंदर से नेपाल डीआईजी के सिबिल विंग के जवानों यानि घुमवा पुलिस ने भारी मात्रा में मछली के के मुंह  से 100 ग्राम स्मैक की बरमदगी की थी। मगर आज तक भारतीय सुरक्षा कर्मियों ने एक भी मछली तस्कर के पास से किसी भी प्रकार का मादक पदार्थ बरामद नही कर सकी करें भी तो कैसे जब इन्ही के सामने से खुलेआम यह कारोबार किया जाता है तो फिर कैसे बरमदगी हो  सकेगी! 


आपको बता दे कि नेपाल सरकार ने भी मांगुर नामक मछली को अपने यहां भी पूर्ण रूप से प्रतिबन्ध कर रखा है। मगर जब ऐसे कारोबारियों को वर्दीधारियों का साथ मिल जाये तो फिर कैसे इस तस्करी पर प्रतिबन्ध लग सकता है। 


इस विषय पर जब एसएसबी के डीआईजी लखीमपुर सेक्टर से बात करने का प्रयास किया गया तो उनका मोबाइल नेटवर्क कबरेज क्षेत्र से बाहर बता रहा था।