भारत की पहली महिला शिक्षका व समाज सुधारक सावित्री बाई फुले के जन्म दिवस पर शत शत नमन
सावित्री बाई फुले की 187 वीं जयंती पर तमाम लोग उनको याद किए।
जिस समय महिलाएं पर्दे से बाहर नहीं निकलती थी उस समय सावित्री बाई फुले ने न केवल शिक्षा ग्रहण की वरन महिलाओं को शिक्षित करने के लिए स्कूल खोला। शिक्षण कार्य करने के दौरान उन्हें समाज के अंधविश्वासी सोच के लोगों से बहुत संघर्ष करना पड़ा। जब वे पढ़ाने जाती थीं तो लोग उन्हें पत्थर मारते थे लेकिन उन्होंने हर मुसीबतों का सामना कर महिलाओं को शिक्षित किया।
सावित्री बाई फुले ने 19 वीं सदी में छुआ , छूत, सती प्रथा, बाल विवाह और विधवा विवाह निषेध जैसी कुरीतियों के खिलाफ अपने पति ज्योतिबा राव फुले के साथ मिलकर काम किया। सावित्री बाई फुले का जन्म 3 जनवरी 1831 में हुआ था 1840 में 9 वर्ष की आयु में उनका विवाह 13 साल के ज्योतिबा राव फुले के साथ हुआ था। उन्होंने महिलाओं के शिक्षा के लिए 18 स्कूल खोले थे 1848 में महाराष्ट्र के पुणे में देश का सबसे पहला बालिका विद्यालय फातिमा बाई के साथ मिलकर खोला था और देश में महिला शिक्षा की अलख जगाई।