साहब को नहीं पता किन गांवों में लगा है डस्टबिन
खाते से पैसा और गांवों से डस्टबिन गायब
गगहा,,,,गांवों को सुन्दर व स्वच्छ रखने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार नित नई योजनाएं संचालित कर पानी की तरह पैसा बहा रहीं हैं लेकिन कुछ गैर जिम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत कहें या लापरवाही सरकार की योजनाएं जमीनी हकीकत में तो नहीं बदल पा रही है लेकिन कागजी कोरम को तो पूरा कर ही देती हैं।जबकि वर्तमान समय में सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करने के लिए गांव गांव में जन जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है फिर ग्रामीण मूल भूत सुविधाओं से वंचित रह जा रहें हैं। उधर कागजी कोरम पूरा करते हुए अधिकारी व कर्मचारी आल इज वेल की रिपोर्ट लगाकर अपनी पीठ थपथपा ले रहें हैं।
गांवों को गन्दगी और प्रदुषण मुक्त बनाने के लिए सरकार हर घर को इज्जत घर का नाम देते हुए शौचालय उपलब्ध कराने का दावा करती है और अधिकारी पूरे जिले को ओ डी एफ घोषित कर दिए लेकिन आज भी हर गांवों में बहुतायत गरीबों के पास शौचालय नहीं हैं वह आज भी खुले में शौच जाने के लिए विवश हैं। गांवों को फैले कचरे से मुक्त करने के लिए ग्राम पंचायतें में डस्टबिन लगाया जाना था। जिसमें कुछ ग्राम प्रधान व सचिव तो कार्यदायी संस्था से मिलकर रेट से अधिक दाम ख़ारिज कर अपने ग्राम पंचायत में मंगवा लिया तो वहीं कुछ प्रधानों ने इसमें रूचि नहीं दिखाई।आज आलम यह है कि एक दो ग्राम पंचायतें को छोड़ दिया जाए तो गांवों से डस्टबिन गायब हो चुके हैं। कितने ग्राम पंचायत में तो लगाया ही नहीं गया और गांव में किसी के दरवाजे पर रख दिया गया और वह गायब भी हो गया।अब सवाल यह उठता है कि डस्टबिन को धरती निगल गई या आसमान।
ए डी ओ पंचायत को नहीं पता किस गांव में लगा है डस्टबिन
इस सम्बन्ध में जब ए डी ओ पंचायत गगहा रामनगीना यादव से बात की गयी तो उन्होंने कहा कि मैं अभी दो माह पहले ही आया हूं मुझे नहीं पता कि किन गांवों में डस्टबिन लगा है और किन गांवों में नहीं।
इस सम्बन्ध में खण्ड विकास अधिकारी गगहा सुनील कुमार कौशल ने कहा कि करीब एक वर्ष पहले कुछ ग्राम पंचायतें डस्टबिन लगवायी थीं लेकिन अगर उन गांवों में डस्टबिन नहीं है तो निश्चित ही जांच कर यथोचित कार्यवाही की जायेगी।