हमारे यहाँ शूदक चल रहा है भिक्षा नही दे सकती
अमेठी
श्रीमद्भागवत कथा में विना सुदामा चरित्र के पूरा ही नही होता सुदामा जी के चरित्र से ही सत्य भक्ति और मित्र प्रेम उजागर होता है अमेठी जिले के विकास खण्ड संग्राम पुर के कालिकन धाम मे भौसिंहपुर प्रधान के सहयोग से स्थानीय संत फक्कड़ बाबा ने भागवताचार्य सर्वेश महराज प्रयागराज वाले व्यास जी ने कथा के अन्तिम दिन गरीबी और मर्यादा की कथा सुनाते हुई भगवान श्रीकृष्ण और मित्र सुदामा के चरित्र पर कथा सुनाई जिसमे सुदामा की गरीबी को उनकी पत्नी ने किस तरह निभाया एक बार की बात है कि सुदामा जी के घर मे अन्न का एक दाना भी नही था सुदामा जी की पत्नी ने कहा बच्चे भूखे है भोजन की मांग कर रहे है तो सुदामा जी ने कहा कि पानी को खाना बनाने वाले वर्तन मे डाल कर आग पर रख दो और कह दो कि खिलाड़ी बन रही अब खिचडी कितने समय मे बनेगी यह देख भगवान श्रीकृष्ण को रहा नही गया वे भिखारी बन सुदामा जी की टूटी फूटी कुटिया मे आए और भिक्षा की मांग की सुदामा जी की पत्नी बाहर निकली और कही हमारे यहाँ शूदक पड़ा है इसलिए भिक्षा नही दे सकती भगवान श्रीकृष्ण तो भगवान ही है उन्होनें पूंछा किस तरह का शूदक है मृत्यु वाला या जन्म वाला जय श्रीकृष्ण इस भागवत कथा मे व्यास गद्दी पर भागवताचार्य सर्वेश महराज और.उनकी टीम यजमान फक्कड़ बाबा कालिकन धाम व्यवस्थापक ग्राम प्रधान भौसिंहपुर भीम मिस्त्री और.सैकडो श्रोता मौजूद रहे