इन दवाओं का सैंपल हुआ फेल

*यूपी के सरकारी अस्पतालों में मिलने वाली दवाओं के सैंपल फेल, मंत्री बोले- अब बदलेगी व्यवस्था -*



लखनऊ. उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवा की उपलब्धता के लिए सरकार ने प्रदेश में मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन का गठन किया था. पिछले कुछ महीनों के आंकड़ों को देखे तो जिलों में दवा भेजने का जिम्मा लेने वाले मेडिकल कारपोरेशन की करीब 17 दवाओं का सैंपल सरकारी लैब में फेल हो चुके हैं. दरअसल जब दवाएं फेल जो जाती हैं तो उनका वितरण रोक दिया जाता है. सवाल उठता है कि आखिर ऐसी दवाएं ही क्यों सरकार खऱीदती है या टेंडर करती है, जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो सकती हैं.


इन दवाओं का सैंपल हुआ फेल


1- सीएमसी आई ड्रॉप: आंखों के लिए
2 - इंजेक्शन डोबिटामिन : जीवन रक्षक दवा
3 - टेबलेट एरिथ्रोमाइसिन : गले में इंफेक्शन के लिए एंटीबायोटिक
4 - नियोस्पोरिन पाउडर : जख्म को सुखाने के लिए
5 - लिग्नोकेन जेली : आग से झुलसे मरीजों के लिए
6 - इंजेक्शन आर्टिसोनेट : मलेरिया की दवा
7 - इंजेक्शन लिग्नोकेन विद एडीनोलिन : आपरेशन से पहले मरीज को बेहोश करने के लिए
8 - नियोमाइसिन बेसीट्रेसिन विद जिंक पाउडर : फोड़ा-फुंसी को सुखाने की दवा


वहीं मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन की तरफ से मेसर्स हिमालया मेडिटेक प्राइवेट लिमिटेड की रैनिटीडाइन हायड्रोक्लोराइड इंजेक्शन, डोबुटामाइन हायड्रोक्लोराइड इंजेक्शन, मेसर्स ओमेगा फार्मा की ओर से एरिथ्रोमाइसिन स्ट्रेटस टैबलेट की आपूर्ति की गई थी जो जांच में फेल हो गए. पूरे मामले में हाल ही में स्वास्थ्य विभाग का जिम्मा संभालने वाले मंत्री जय प्रताप सिंह कहते हैं कि अब मेडिकल कारपोरेशन से किसी भी दवा का वितरण नमूनों की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही होगा. उन्होंने दावा करते हुए कहा कि मार्च के बाद पूरी व्यवस्था बदली जा रही है. पहले दवा वितरण के बाद चेकिंग होती थी लेकिन अब बिना दवाओं को चेक किए जिलों में नहीं भेजा जाएगा ताकि भविष्य में कोई परेशानी ना हो.