मुजफ्फरनगर के मुख्य मार्गो की हालत बहुत खस्ता एवं दयनीय स्थिति में
मंत्री व विधायकों की लंबी कतार के बाद भी नहीं हो पा रहा है कोई सुधार! विपक्ष भी सोया कुंभकर्णी नींद
मुजफ्फरनगर।
सरकार द्वारा गड्ढा मुक्त करने का अभियान समय-समय पर चलाया जाता रहा है लेकिन अफसोस की बात है कि जनपद मुजफ्फरनगर में मंत्रियों के बड़ी फौज है सभी विधायक भी सत्ता पक्ष के ही है इसके बावजूद भी कई सड़कें ऐसी हैं जिनका हाल बहुत बुरा हो चुका है लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है कहने को कहा जाता है कि प्रस्ताव पास है जल्द ही निर्माण कार्य शुरू होगा लेकिन वास्तविकता से यह सब कोसों दूर है इसकी वजह से अक्सर दुर्घटनाएं भी होती रहती हैं। यदि हम मुख्य रोड, खटीमा, पानीपत मार्ग की बात करें तो शामली स्टैंड से शुरू होकर बघरा तितावी तक रोड की स्थिति बड़ी ही दयनीय है तथा सड़क के बीचो-बीच बड़े-बड़े गड्ढे हो चुके हैं जिनमें आए दिन दुर्घटनाएं होती रहती है लेकिन इस विषय पर किसी का ध्यान नहीं जा रहा है इस सड़क की हालत बहुत खस्ता है काम यदि होता भी है तो केवल आंशिक रूप से सड़कों को भरने की कोशिश की जाती है लेकिन बरसात के दिनों में हालत फिर पहले से भी बदतर हो जाती है इसके अलावा यदि जानसठ रोड की स्थिति काफी खराब हो चुकी है वाहनों के आवागमन में काफी दिक्कतें पैदा होती हैं लेकिन इसके बावजूद भी इसका मार्ग का कोई निर्माण कार्य या भविष्य की कोई योजना अभी तक पटल पर रखी हुई नजर नहीं आती माना कि योजनाएं हैं तो फिर इनको क्रियान्वित करने के लिए इतनी देरी क्यों होती है? सड़क दुर्घटना के कारण अक्सर जाने चली जाती हैं तथा लोग जान और माल का भारी नुकसान उठाते हैं। तो वही राणा चौक से जो बाईपास शामली शाहपुर को होता हुआ जाता है उस बाईपास की स्थिति भी बहुत ज्यादा खराब हो चुकी है कई एक्सीडेंट हो चुके हैं जिनमें मौतें भी हो चुकी हैं लेकिन इस पर भी कोई ध्यान नहीं है सवाल यह पैदा होता है कि जनपद में मंत्रियों विधायकों की इतनी लंबी चौड़ी फौज है फिर भी व्यस्त सड़कों के प्रति संवेदनशील क्यों नहीं है? सड़क दुर्घटना में जो आकस्मिक मौत मरता है उसके परिवार से पूछिए कि उस पर क्या गुजरती है? और अक्सर देखा जाता है कि दुर्घटनाओं में परिवार का परिवार तबाह और बर्बाद हो जाता है इस संदर्भ में सरकार को गंभीरता दिखाते हुए काम करना चाहिए वहीं प्रशासन को भी सजगता के साथ काम करते हुए सड़कों के सही निर्माण एवं देखरेख पर ध्यान देने की सख्त जरूरत है ताकि आकस्मिक दुर्घटनाओं एवं अकाल मौतों को कम से कम किया जा सके इसके अलावा शहर के अंदर भी कई ऐसे छोटे-मोटे मार्ग हैं जिनकी हालत बहुत खस्ता हो चुकी है इन पर भी ध्यान देने की जरूरत है तो वहीं अगर हम रुड़की रोड की बात करें तो इस सड़क की हालत बहुत ज्यादा खस्ता है रुड़की चुंगी चौकी से निकलते ही पूरा रास्ता उबड़ खाबड़ होने के साथ खड़ंजे से बना हुआ हैं कहने को यह जीटी रोड हैं?जीटी रोड पर खड़ंजा बिछाकर वैकल्पिक व्यवस्था करना कितने समय तक के लिए जायज है? बहुत लंबा समय से यहां पर खड़ंजा लगे हुए हो चुका है लेकिन पक्की सड़क वर्षों से नहीं बनी।