शराब से हजारों परिवार बर्बाद,सड़क दुर्घटना व मौते

शराब से हजारों परिवार बर्बाद,सड़क दुर्घटना व मौते


हमारा संविधान भारत को एक कल्याणकारी राज्य घोषित करता है और यह भी सुनिश्चित करता है कि राष्ट्र का अंतिम उद्देश्य समाज के अंतिम व्यक्ति का कल्याण करना है। इसी क्रम में राज्य द्वारा नागरिकों के लिए कल्याणकारी योजनाएं बनाई जाती हैं। पर संविधान निर्माताओं के मंशा पर तब पानी फिरता दिख जाता है जब शराब की वजह से हर साल हजारों परिवार बर्बाद हो जाते हैं। आज की युवा पीढ़ी परिवार और समाज का भार अपने कंधों पर लेने के समय ही शराब की लत में फंस कर कभी सड़क दुर्घटना तो कभी बीमारी की चपेट में आकर असमय काल के गाल में समा जा रही है।
अनेक युवक तो घर के एकमात्र चिराग होते हैं जिनके असमय चले जाने से पत्नी, बच्चे और माता-पिता की दुनिया ही उजड़ जाती है और वे असहाय और कंगाल हो जाते हैं। वहीं से गरीबी-भुखमरी की काली छाया परिवार को घेर लेती है। ऐसी घटनाएं अक्सर हम सभी के सामने आती रहती हैं लेकिन हम इसे नियति का खेल मानकर संतोष कर लेते हैं। लेकिन अब जबकि राष्ट्र और समाज की सोच में क्रांतिकारी बदलाव देखे जा रहे हैं, ऐसे में देश में शराब बंदी पर एक निर्णायक बहस मीडिया और प्रबुद्ध वर्ग को छेड़ने की आवश्यकता है।