पांच दिवसीय दीपावली मेला की तैयारी जोरों पर

 


पांच दिवसीय दीपावली मेला की तैयारी जोरों पर


 दीपावली मेला पर्व के लिए उत्साहित एवं नई ऊर्जा से भरी नजर आ रही धर्म नगरी चित्रकूट


 कार्तिक मास की अमावस्या पर लाखों दीपदान के प्रकाश से जगमगा उठेगा चित्रकूट 


 लाखों श्रद्धालु गण  मां मंदाकिनी में लगाएंगे आस्था की डुबकी   


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 चित्रकूट के घाट पर लगेगा तीर्थयात्रियों का जमघट 



चित्रकूट


(खास रिपोर्ट)


प्रभु श्रीराम की कर्मभूमि धर्म नगरी चित्रकूट में दीपावली मेला की तैयारी शासन प्रशासन स्तर पर ज़ोर शोर से चल रही है। प्रभु श्रीराम के आस्थावानो के लिए चित्रकूट एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। चित्रकूट मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश की सीमा पर बसा हुआ है। चित्रकूट के तीर्थ स्थल मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश क्षेत्र के चौरासी कोस में फैला हुआ है। इसलिए पांच दिवसीय दीपावली अमावस्या मेला की तैयारी दोनों राज्य सरकार संयुक्त रूप से करती हैं। यही कारण है कि दीपावली से पहले धर्म नगरी में अव्यवस्था का जो मेला लगा था उसे व्यवस्थित करने में शासन युद्ध स्तर से जुट गया है। यहां आने वाले तीर्थयात्रियों श्रद्धालुओं को कोई परेशानी ना हो उसका हर संभव प्रयास किया जा रहा है। टूटी हुई सड़कों को दुरुस्त किया जा रहा। तो कहीं दीवारों पर पुताई रंगाई के लिए ब्रश चलाते हुए कर्मचारी नजर आ रहे हैं। उत्साह और नव ऊर्जा से भरी नजर आ रही है धर्मनगरी चित्रकूट। चित्रकूट के मठ- मंदिरों में भी साज सज्जा सजावट का काम तेजी से चल रहा है। इसके साथ ही दीपावली मेला में लगने वाले बाजार भी सजने लगे। प्रतिवर्ष यहां लाखों करोड़ों का व्यापार होता है। छोटे बड़े व्यापारी दूरदराज से जहां व्यापार करने के लिए इस मेले में शिरकत करते हैं। जिनमें प्रमुख रूप से कपड़ा बाजार  एक प्रमुख व्यवसाय के रूप में उभरा है। इसके साथ ही नारियल प्रसाद की दुकानें तीर्थ क्षेत्र में जगह-जगह लगी हुई दिखती है। हस्तशिल्प , लकड़ी निर्मित खिलौने , धार्मिक पुस्तकें, वात नाशक - दर्द नाशक तेल आदि का व्यवसाय खूब फलता फूलता है। व्यवसाय  बाजार का एक बड़ा हिस्सा, धर्म क्षेत्र के सड़क मार्ग के दोनों ओर लगता है । जिसके लिए व्यवसायी अपने लिए समुचित स्थान चुनकर अस्थाई दुकान लगाते हैं। मेला व्यवस्था का कार्य शीघ्रता से पूरा हो इसके लिए शासन प्रशासन का अमला प्रतिदिन चित्रकूट का भ्रमण कर आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे हैं। 
इस वर्ष भी 30 से 40 लाख श्रद्धालुओं के आने की संभावना इस पांच दिवसीय मेले में है। धर्म नगरी चित्रकूट का पौराणिक महत्त्व है। भगवान श्री राम अपने 14 वर्ष के वनवास काल के दौरान उन्होंने 11 वर्ष से अधिक का समय यही चित्रकूट में बिताया था। यहां उन्होंने चित्रकूट के भगवान श्री कामतानाथ जी की उपासना पूजा अर्चना की। यही कारण है कि हजारों वर्षों बाद त्रेता युग के बाद कलयुग में भी श्री कामतानाथ जी सभी भक्तों की कामना पूर्ण अर्थात सभी इच्छाओं मनोकामना को पूर्ण करने वाले भगवान के रूप में पूजे जाते हैं। आदि कवि बाबा तुलसीदास के जन्म के साक्षी रही है यह धर्म नगरी। प्रभु श्री राम को पाने की इच्छा का संकल्प मन में लेकर बाबा से तुलसीदास ने भी चित्रकूट के घाट में कुटिया बनाकर निवास किया था और कामतानाथ जी की पूजा अर्चना की। तब हनुमान जी के सहयोग से उन्हें इसी चित्रकूट के रामघाट पर प्रभु श्रीराम के दिव्य स्वरूप का अलौकिक दर्शन हुआ था। उनके द्वारा लिखी गई श्री रामचरितमानस का कुछ अंश चित्रकूट में भी लिखा गया था। लोग कामतानाथ पर्वत की पंचकोशी परिक्रमा लगाने के पश्चात, माता सती अनसूया के प्रताप से निकली मां मंदाकिनी में स्नान - दान कर संध्या को दीपदान करते हैं।